केंद्रीय युवा मामले और खेल मंत्री श्री किरेन रिजिजू ने आज खेलो इंडिया योजना की पहली आम सभा की बैठक की
अध्यक्षता की और राज्य के खेल विभागों और अन्य केंद्रीय मंत्रालयों के अधिकारियों को संबोधित किया। बैठक के दौरान
बोलते हुए उन्होंने राज्यों से अनुरोध किया कि वे राज्य स्तरीय खेलो इंडिया गेम्स के वार्षिक आयोजन की मेजबानी करें
ताकि बड़े पैमाने पर जमीनी स्तर की प्रतिभाओं की पहचान की जा सके।बैठक में खेल सचिव श्री रवि मित्तल; भारतीय
खेल प्राधिकरण के महानिदेशक श्री संदीप प्रधान और खेल मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने हिस्सा लिया।
श्री किरेन रिजिजू ने कहा,“खेलो इंडिया योजना के तहत राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित होने वाली वार्षिक प्रतियोगिताओं, जैसे
कि खेलो इंडिया यूथ गेम्स और यूनिवर्सिटी गेम्स, ने सभी राज्यों से खेल प्रतिभाओं को पहचानने में मदद की है।हालांकि, यह
पर्याप्त नहीं है। हर राज्य जमीनी स्तर की प्रतिभा की पहचान करने और राज्य से खेल प्रतिभाओं को एक बड़ा मंच देने के लिए
वार्षिक खेलो इंडिया गेम्स का आयोजन कर सकता है। राज्य जो पहले से ही वार्षिक खेल प्रतियोगिताओं का संचालन करते हैं,
वे खेलो इंडिया स्कीम के साथ जुड़ सकते हैं और केंद्र इन आयोजनों को संचालित करने में उनका समर्थन करेगा।”
जमीनी स्तर की प्रतिभाओं की पहचान के महत्व को बताते हुए खेल मंत्री ने कहा,“भारत को एक खेल महाशक्ति
बनाने के लिए हमें 5-10 वर्ष आयु वर्ग की प्रतिभाओं को पहचानना होगा और उन्हें भविष्य में चैंपियन बनने में मदद करनी
होगी।ओलंपिक के लिए एक एथलीट को तैयार करने में कम से कम 8 साल लगते हैं, और यदि हम बाद के स्तर पर प्रतिभा
की पहचान करते हैं, तो ओलंपिक पोडियम पर इसे बनाने की उनकी संभावना सीमित है। इसलिए, राज्यों को युवा प्रतिभा
की पहचान करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए और राज्य, जिला, ब्लॉक और पंचायत स्तर पर प्रतियोगिताओं का
आयोजन करना महत्वपूर्ण है।”
केंद्रीय खेल मंत्री ने पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण और उत्तर पूर्व भारत के लिए 5 क्षेत्रीय प्रतिभा स्काउटिंग समितियों की बात
की और 24 खेल विषयों में जमीनी स्तर की प्रतिभा की पहचान करने में इन समितियों की सहायता करने में राज्यों की सक्रिय
भागीदारी के लिए कहा। उन्होंने कहा,“फिर पहचानी गई प्रतिभाओं को राज्य सरकार या एसएआई केंद्रों में प्रशिक्षित किया जा
सकता है। हमें प्रतिभाओं की पहचान करने में राज्य सरकारों से इनपुट की आवश्यकता है।”
मंत्री ने राज्यों को प्राथमिकता के तौर पर खेलो इंडिया स्टेट सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (केआईएससीई) के लिए अपने सर्वश्रेष्ठ
खेल बुनियादी ढांचे की पहचान करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा,“हम पहले ही 8 राज्यों की पहचान कर चुके हैं, जहां
केआईएससीई की स्थापना की जाएगी। खेल मंत्रालय को भी 13 राज्यों से प्रस्ताव मिले हैं, जिन्हें अंतिम रूप दिया जा रहा है।
केआईएससीई राज्यों के लिए देश भर के वरिष्ठ एथलीटों को चुनिंदा खेलों में प्रशिक्षण देने और उनमें उत्कृष्ट प्रदर्शन करने के
लिए एक अत्याधुनिक बुनियादी ढांचा है। केंद्र इसमें राज्यों को निधि देने और समर्थन करने के लिए तैयार है, और इसलिए, मैं
हर राज्य से आग्रह करता हूं कि वे अवसंरचना की तत्काल पहचान करें जिसे वे केआईएससीई के लिए चिन्हित करना चाहेंगे।”
राज्य के प्रतिनिधियों ने खेल मंत्री द्वारा चर्चा की गई योजनाओं के क्रियान्वयन पर खेल मंत्रालय के साथ मिलकर काम
करने में दिलचस्पी दिखाई। इनमें से कई ने पहले से मौजूद राज्य स्तरीय वार्षिक प्रतियोगिताओं और जमीनी स्तर की प्रतिभा
पहचान योजनाओं का विवरण साझा किया।
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