भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में लाखों लोगों ने हिस्सा लिया किसी ने तन से किसी ने मन से किसी ने धन से अपना सब कुछ देश के
लिए निछावर कर दिया तब जाकर भारत को अंग्रेजों की दासता से छुटकारा मिला लाखों शहीदों के बीच एक नाम जो सबसे
पहले लिया जाता है उसका नाम है मंगल पांडे मंगल पांडे वह सच है जो अंग्रेजो के खिलाफ सबसे पहले बंदूक उठा कर सामने
खड़ा हुआ इससे पहले अंग्रेजों का भारत पर इस तरह मानसिक दबाव रहता था कि भारतीय यह सोच कर बैठे थे कि अंग्रेज को
हराना नामुमकिन है लेकिन एक छोटे से सिपाही ने जब अपनी जान की परवाह नहीं करते हुए अंग्रेजों के सामने बंदूक उठा ली
और गोली चला कर यह दिखा दिया कि एक भारतीय सारी अंग्रेज सेना को डराने के लिए काफी है मंगल पांडे सबसे पहले
इतिहास में किसी व्यक्ति का महान शख्सियत का नाम दर्ज है 18 57 का स्वतंत्रता संग्राम अंग्रेजो के खिलाफ लड़ा गया
उसकी नीव मंगल पांडे के कारण ही पड़ी अंग्रेज इस घटना के बाद इतने चिंतित रहे कि उन्होंने भारतीयों पर हजारों तरह के
नियम कायदे लगा दिए मंगल पांडे एक साधारण ब्राह्मण परिवार में जन्म हुआ
मंगल पांडे का जन्म नगवा गांव जिला बलिया उत्तर प्रदेश में हुआ
भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के प्रेरक के रूप में मंगल पांडे हमेशा याद किए जाते रहे हैं उनके द्वारा बताई गई क्रांति की
ज्वाला से अंग्रेज पूरी तरह से परेशान हो गए थे किस क्रांति में हालांकि काफी बड़ा अंग्रेजों को नुकसान नहीं हुआ लेकिन वह
यह समझ गए थे कि कभी भी भारतीय अब उनके खिलाफ हो सकते हैं सोच कि भारतीय गुलाम की तरह उनके साथ सदा
रहेंगे यह उनके दिमाग से बात निकल ने लगी इसीलिए उन्होंने कई कड़े नियम लगाने शुरू कर दिए अंग्रेजों ने 18 57 की
क्रांति जो मंगल पांडे द्वारा बताई गई थी हालांकि आसानी से दबा दिया लेकिन यह सभी राजा महाराजा और भारतीयों के लिए
एक शब्द के रूप में हमेशा दिमाग में रहे कि हमें अब आज़ादी लेनी है अंग्रेजों के गुलामी अब नहीं सहनी है मंगल पांडे ने जो
कांति के बीज बोये उसे अंग्रेजी हुकूमत साल के अंदर ही है भारत से उखड़ गई
मंगल पांडे कंपनी के अंतर्गत इन्फेंट्री में एक सिपाही 57 की क्रांति के दौरान मंगल पांडे को जन्म दिया जो आपकी तरह पूरे
उत्तर भारत और पूरे देश में फैल गया भले ही भारतीय स्वाधीनता संग्राम का निर्णय नहीं हो सका लेकिन
मंगल पांडे के पिता का नाम दिवाकर पांडे तथा माता का नाम श्रीमती अभय रानी था सामान्य ब्राह्मण परिवार में जन्म लेने के
कारण मंगल पांडे और रोजी-रोटी की मजबूरी शुरू से रही इसलिए उन्हें युवावस्था में ही नौकरी करने पर जाना पड़ा 22 साल
की उम्र में उन्होंने ब्रिटिश फौज में नौकरी शुरू की।
ईस्ट इंडिया कंपनी की नौकरी करते वक्त भी उन्हें यह लग हमेशा लगता रहा अंग्रेजों को फूट डालो और राज करो की नीति के
तहत यहां के राजाओं की सत्ता रख रहे हैं और श्री साई धर्म के फैलाव के कारण हिंदू धर्म और अन्य जो भारतीय धर्म से उनका
नुकसान होता जा रहा था
अंग्रेजों के प्रति भारतीय जनता में भारतीय सिपाही जो अंग्रेज सेना में काम करते थे अंग्रेजों के प्रति नफरत पैदा होती जा रही थी
और मामला की है और भी बिगड़ गया जब अंग्रेजों ने नए कारतूस का इस्तेमाल शुरू कर दिया यह माना गया कि इसमें गाय
और सुअर की चर्बी का इस्तेमाल होता है इन कांटों को बंदूक में डालने से पहले मुंह से सुनना पड़ता था भारतीय सैनिकों के
बीच ऐसी बात पहली किन कारकों में चर्बी का इस्तेमाल होता है तो वह भड़क गए उनके मन में यह बात आ गई कि अब अंग्रेज
हमारा धर्म नष्ट करना चाहते हैं क्योंकि हिंदू और मुसलमान दोनों को आपत्ति थी
भारतीय सैनिकों के साथ पहले ही सेना में काफी भेदभाव किया जाता था के कारण भारतीय सैनिक पहले ही काफी नाराज थे
और उनका दूसरों से जब यह अफवाह फैली तो वह भड़क गए अट्ठारह सौ सत्तावन को जब यह कारतूस बांटा गया तो मंगल
पांडे ने सबसे पहले यह कारतूस लेने से इनकार कर दिया इसके परिणाम स्वरूप उनके हथियार छीन लिए गए लेने का हुक्म
दिया गया मंगल पांडे ने आदेश को मानने से इनकार कर दिया और राइफल छीनने के लिए एक बड़े अंग्रेज अफसर मेजर 59
पर आक्रमण कर दिया
इस प्रकार ईस्ट इंडिया कंपनी शासन के खिलाफ मंगल पांडे ने बैरकपुर छावनी में 29 मार्च अट्ठारह सौ सत्तावन को अंग्रेजों के
विरुद्ध विद्रोह का बिगुल बजा दिया आक्रमण करने से पहले मंगल पांडे ने अपने अन्य साथियों को भी समर्थन के लिए बुलाया
और कहा कि सभी मिलकर अंग्रेजों का विरोध करो मगर डर के कारण कोई भी सैनिक आगे नहीं आया किसी ने भी मंगल
पांडे का साथ नहीं दिया तो मंगल पांडे ने अकेले ही अपनी राइफल से उस अंग्रेज अधिकारी को मौत के घाट उतार दिया जो
उनकी वर्दी उतारते और राइफल छीनने के आगे आया इसके बाद मंगल पांडे ने एक और अंग्रेज अधिकारी को मौत के घाट
उतार दिया जिसके बाद अंग्रेज सिपाहियों ने मंगल पांडे को पकड़ लिया उन पर केस चलाया गया जो एक सामान्य और मल्टी
थी और मंगल पांडे को 6 अप्रैल 1857 को फांसी की सजा सुनाई गई यह फैसला हुआ कि मंगल पांडे को 18 अप्रैल को फांसी
की सजा दी जाएगी पर ब्रिटिश अधिकारी यह डर गए कि और आंदोलन न भड़क जाए इसलिए जल्दी से जल्दी मंगल पांडे को
उन्होंने फांसी पर लटकाना उचित समझा इसलिए 10 दिन पूर्व ही 8 अप्रैल को मंगल पांडे को फांसी पर लटका दिया गया
जैसे ही मंगल पांडे की शहीद खबर सब जगह फैली लोगों में और भारतीय सैनिकों में विद्रोह की भावना प्रबल होने लगी सभी
को एक सामान्य सिपाही द्वारा पूरे अंग्रेज फौज के सामने इस तरह से वह खड़ा हुआ वह काफी अच्छा लगा सभी इससे काफी
उत्साहित हुए और मंगल पांडे की शहादत के 10 दिन बाद ही 10 मई सन 18 57 को मेरठ की सैनिक छावनी में बगावत हुई
यह विद्रोह देखते देखते पूरे भारत में फैल गया इस बगावत और मंगल पांडे की शहादत की खबर फैलते ही अंग्रेजो के खिलाफ
जगह-जगह संघर्ष भड़क उठे इस संघर्ष में राजे रजवाड़े किसान मजदूर नवाब सभी ने भाग लिया यद्यपि अंग्रेजों ने इस विद्रोह
को दबाने में सफल रहे यह क्रांति भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की नींव के रूप में हमेशा रहे और इसके बाद अंग्रेज कभी भी
आसानी से भारत में नहीं रह सके और लंबे संघर्ष के बाद 90 साल बाद भारत को स्वतंत्र मिली।
मंगल पांडे के जीवन पर काफी नाटक व फिल्म बनी है सन 2005 में प्रसिद्ध अभिनेता आमिर खान ने मंगल पांडे द राइजिंग
फिल्म बनाई इसके निर्देशक केतन मेहता रहे सन् 2005 में ही कई प्रसिद्ध नाटक इनके के लिए बनाए गए भारत सरकार ने
मंगल पांडे के सम्मान में डाक टिकट जारी की है
स्वतंत्रता संग्राम सेनानी मंगल पांडेय की जंयती का विवाद होगा खत्म, गूगल मुख्यालय से होगी बात
उत्तर प्रदेश के मंत्री आनंद स्वरूप शुक्ला ने कहा कि स्वतंत्रता सेनानी मंगल पांडे की जयंती अगले साल 30 जनवरी को
लोकप्रिय वेबसाइट विकिपीडिया पर तारीख में सुधार के लिए होगी। मंत्री ने दावा किया कि वेबसाइट ने 1857 में अंग्रेजों के
खिलाफ विद्रोह में भूमिका निभाने वाले मगल पांडे की जन्मतिथि का गलत उल्लेख किया है। मंत्री ने कहा कि उनकी जयंती
मनाने में बहुत सारी समस्याएं हैं, मंत्री ने कहा कि स्वतंत्रता सेनानी की वास्तविक जन्म तिथि 30 जनवरी, 1831 है। शुक्ला ने
कहा कि इस संबंध में दस्तावेज उनके परिवार से एकत्र किए गए हैं और राज्य के मुख्यमंत्री को बुधवार को इसकी जानकारी दी
जाएगी, जिसके बाद उनके रिश्तेदारों की ओर से एक पत्र और संबंधित कागजात विकिपीडिया को भेजे जाएंगे।
मंगल पांडे: द राइज़िंग
मंगल पांडे स्वतंत्रता सेनानी की जीवनी पर आधारित फिल्म मंगल पांडे द राइजिंग आमिर खान की बेहतरीन फिल्मों में से एक
है इस फिल्म का निर्देशन केतन मेहता जो एक डायरेक्टर है उन्होंने किया था यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर काफी हिट रही
लोगों ने इसे काफी पसंद किया कहानी 18 57 के स्वतंत्रता संग्राम की है जब भारत का एक बड़ा हिस्सा अंग्रेज शासन के
नियंत्रण में था मंगल पांडे जो फिल्म में आमिर खान बने हैं ईस्ट इंडिया कंपनी की है विलियम गार्डन के जीवन
को बचाता है क्योंकि उसने उसके जीवन की रक्षा की थी और
इसी के साथ उन दोनों की मजबूती बनती है अंग्रेज अफसर गार्डन इस फिल्म में एक
विधवा थी ज्वाला अमीषा पटेल ने निभाया है उसे सती होने से बचाता है बाद में उसी के साथ प्यार करने लग जाता है रानी
मुखर्जी पांडे के बीच का आकर्षण इस फिल्म में
दिखाया गया है गार्डन और पांडे की दोस्ती में एक नई शुरुआत राइफल की कारतूस से होती है इस बीच सैनिकों में या फैलती है
कि राइफल के कारतूस में चर्बी है और गाय और सुअर की चर्बी से बनते हैं इसके कारण सैनिकों में काफी असंतोष हो जाता है
राइफल को लोड करने की प्रक्रिया में सैनिकों को काटना पड़ता था और यह उनके लिए काफी गलत कार्य था क्योंकि इसमें
गाय और सुअर की चर्बी रहती थी मंगल पांडे का विरोध करते हैं आमिर खान ने इस फिल्म में काफी अच्छा रोल निभाया है और
मंगल पांडे के जीवन को जीवित जीवंत किया है इसके बाद गार्डन और मंगल पांडे के नेतृत्व में किया जाता है जिसमें मंगल पांडे
को बाद में गिरफ्तार किया जाता है
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